सोशल संवाद/डेस्क : घाटशीला के ऊपर बाँधा जंगल में विगत 21 नवबंर को हाथियों की मौत बिजली का करंट लगने से हो गयी थी। स्थान पर जाकर स्थानीय नागरिकों, पत्रकारों, स्वयंसेवियों, एचसीएल के अधिकारियों से वार्ता किया। उसके पूर्व झारखंड के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन (मुख्य प्रतिपालक वन्यजीव) से बात किया। भारत सरकार के पूर्व महानिदेशक वन्यजीव एवं कतिपय वन्यजीव विशेषज्ञों से भी दूरभाष पर बात किया। घटना स्थल को देखने तथा स्थानीय नागरिकों एवं राष्ट्रीय ख्याती के वन्यजीव विशेषज्ञों से वार्ता करने के उपरांत इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि झारखंड में वन विभाग का सिस्टम पूरी तरह से फेल है। सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है। इस संबंध में निम्नांकित बिंदुओं को आम जन के सामने रखना चाहता हूँ।
- वनों की रक्षा के साथ साथ वन्य जीवों की रक्षा करने, उनका अभिवर्द्धन करने के लिए भारत सरकार और झारखंड सरकार तथा विभिन्न राज्यों के द्वारा कई कानून बनाये गये हैं। उन कानूनों पर स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि प्रासंगिक संदर्भ में किसमें क्या करना है। ऊपर बाँध जंगल के उस स्थान पर जहाँ हाथियों की मौत हुई है जाने पर ऐसा लगा कि नियम कानून केवल कागजों तक सिमटे हैं इनका क्रियान्वयन शुन्य है।
- वन विभाग और बिजली विभाग के हादसा का दोष एक दूसरे पर मढ़ रहे हैं और बचकाना ब्यान दे रहे हैं। झारखंड सरकार ने हाथियों के भ्रमण का पर्यवेक्षण सिस्टम 7-8 साल पहले विकसित हुआ है।
- राज्य के मुख्यमंत्री, राज्य वनजीव बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं। वन संरक्षण अधिनियम की कंडिका 8 के अनुसार वन्यजीव बोर्ड को वन्यजीवों पर संरक्षण के बारे में राज्य सरकार को सलाह देने का दायित्व है। इस बोर्ड ने विगत 10 वर्षों में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या क्या सलाह दिया है ।
- कुछ वर्ष पहले बंगाल सरकार ने अपनी सीमा पर गहरी खाई खोद दिया है, जिससे हाथियों के बंगाल क्षेत्र में भ्रमण बाधित हो गया है। हवा, पानी, पंक्षी, जानवर इन सबों के बारे में किसी राज्य या देश की सीमा नहीं होती है।
- वन विभाग के एक जिम्मेदार पदाधिकारी का ब्यान है कि वे अंडा का खोल में मिर्चा डालकर और इसे जलाकर हाथियों का इस क्षेत्र से बाहर कर रहे हैं। विडंबना है कि एक डीएफओ के क्षेत्र से दूसरे डीएफओ के क्षेत्र में भगाना ही हाथियों का समस्या का समाधान मान लेगा तो हाथियों के प्राकृतिक स्थल और भ्रमण करने से हाथियों की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी।
- चूँकि बिजली की लाइन एचसीएल के लिए बनाई गयी है और यह 1980 में वनसंरक्षण अधिनियम बनने के बाद बनाये गये हैं, इसलिए इसपर अधिनियम के प्रावधान लागु नहीं होते हैं परंतु इस संदर्भ में सेन्ट्रल आॅथोरिटी का निर्देश नहीं होना इस हादसा का मुख्य कारण है।
- झारखंड सरकार का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार प्रोजेक्ट एलीफैंट के सामने अधिक से अधिक कार्य योजना प्रस्तुत कर अधिक से अधिक फंड लेने में है।
- घाटशीला में करंट लगने से पाँच हाथियों की मौत कुछ दिन पहले इसी क्षेत्र में दो हाथियों की मौत, कल गिरीडीह में एक हाथी का मरना ऐसी घटनाएं हैं।