May 20, 2024 5:10 pm
Search
Close this search box.
Srinath University Adv (1)

इस जगह माता सीता को बचाने के लिए जटायु ने रावण से की थी लड़ाई , ऐतिहासिक है जमुई का गिद्धेश्वर मंदिर  

Xavier Public School april

सोशल संवाद / डेस्क : देश भर में हज़ारों ऐसे प्राचीन मंदिर है जो अपने प्राचीन इतिहास के लिए जाने जाते हैं । रामायण और महाभारत से जुड़े भी कई मंदिर आपको मिल जायेंगे । इस मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। चलिए जानते हैं बिहार के जमुई में स्थित गिद्धेश्वर मंदिर का इतिहास ।

पौराणिक कहानी है कि जब लंकापति रावण धोखे से मां सीता का अपहरण करके ले जा रहा था, तब मां सीता को बचाने के पक्षीराज जटायु रावण से भिड़ गए थे। उस सामय रावण ने उनके पंक काट कर उन्हें घायल कर दिया था ।घायल अवस्था में वे जिस पहाड़ पर गिरे थे उस स्थान को गिद्धेश्वर पहाड़ कहा गया। कहा जाता है जब भगवान राम सीता मां को खोजते हुए पहाड़ पर पहुंचे थे, तो घायल जटायु ने ही श्री राम को बताया था कि  रावण ने छल से मां सीता का अपहरण किया था। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि उन्होंने रावण के चंगुल माता सीता को बचाने कि कोशिश की लेकिन बचा न सका। जटायु ने इतना कहने के बाद भगवान राम की गोद में प्राण त्याग दिये थे। जिसके बाद राम भगवान ने उस जगह को पक्षीराज जटायु के लिए समर्पित कर दिया उसके बाद उसी स्थान पर गिद्धेश्वर मंदिर बनाया गया था।

यह भी पढ़े : मुग़ल बादशाह औरंगजेब भी नहीं तुड़वा पाए ये मंदिर, मुकेश अंबानी भी लगाते हैं हाजिरी

कथाओं में प्रचलित है पक्षीराज जटायु के कटे हुए पंख के साथ जिस जगह पर आकर गिरे थे, वहां पर भगवान राम ने शिव भगवान और वीरगति प्राप्त हुए जटायु के लिए मंदिर का निर्माण करने के लिए अपने भक्तों को बोला था। और कहा था कि अब ये पहाड़ गिद्धेश्वर पहाड़ के नाम से जाना जाएगा जिस पर गिद्धेश्वर मंदिर का निर्माण किया जाए। और जो भी भक्त इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आएगा उसकी मनोकामना पूरी होगी।

गिद्धेश्वर मंदिर का निर्माण खैरा स्टेट के तत्कालीन तहसीलदार लाला हरिनंदन प्रसाद द्वारा लगभग 100 वर्ष पूर्व किया गया है। ये मंदिर महादेव शिव को समर्पित हैं। गिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर की ख्याति काफी प्रसिद्ध है। हर साल श्रावण के महीने में यहां बिहार और झारखंड से लोग आते हैं। हर साल लाखों लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मस्थान भी इसी वन्य क्षेत्र के बीच अवस्थित है। 

यहां प्रत्येक सोमवारी, पूर्णिमा, बसंत पंचमी और शिवरात्रि को हजारो श्रद्धालु आते हैं और भक्तिभाव से भगवान शंकर और माता पार्वती सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इन मौकों पर यहां विशाल मेला लगता है। इस क्षेत्र के लोग अपने फसल का पहला उपज ही भगवान शंकर को अर्पित करते हैं।

Print
Facebook
Twitter
Telegram
WhatsApp
जाने छठ पूजा से जुड़ी ये खास बाते विराट कोहली का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में 5 नवंबर 1988 को हुआ. बॉलीवुड की ये top 5 फेमस अभिनेत्रिया, जिन्होंने क्रिकेटर्स के साथ की शादी दिवाली पर पिछले 500 सालों में नहीं बना ऐसा दुर्लभ महासंयोग सोना खरीदने से पहले खुद पहचानें असली है या नकली धनतेरस में भूल कर भी न ख़रीदे ये वस्तुएं दिवाली पर रंगोली कहीं गलत तो नहीं बना रहे Ananya Panday करेगीं अपने से 13 साल बड़े Actor से शादी WhatsApp में आ रहे 5 कमाल के फीचर ये कपल को जमकर किया जा रहा ट्रोल…बच्ची जैसी दिखती है पत्नी