सोशल संवाद/दिल्ली (रिपोर्ट – सिद्धार्थ प्रकाश): कांकेर लोकसभा हेतू भोजराज नाग का नाम तेजी से चर्चा में है जो महाराष्ट्रीयन गोड़ है, जो मूल आदिवासी में नही आता। इनके समाज की आबादी कांकेर लोकसभा में 100 लोगों की भी नही है। भोजराज नाग ,नरसो बाई गोड़ के बलात्कार व अपहरण कांड के मुख्य आरोपी है। पीड़िता नरसो बाई गोड़ का अभी तक कोई पता नही चल पाया है। जिससे आदिवासी समाज अत्यंत आक्रोशित है। भोजराज नाग मूल नही होने के कारण छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वीकार नही कर पाते। जिस कारण से वें धर्मांतरित हो रहे मूल आदिवासी समाज के बीच हिंदुत्व की बात नही रख पाते। और ना ही मूल आदिवासी समाज के बीच इनकी पूछ परख होती है। अगर इनको टिकट मिलता है तो 2022 के भानुप्रतापपुर उपचुनाव में जिस तरह दाग लगे के बाद ब्रम्हानंद नेताम को हार और विरोध का सामना करना पड़ा था। उसी तरह भोजराज नाग को अकल्पनीय विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
दूसरा नाम विकास मरकाम का भी है। ये मंडला मध्यप्रदेश के गोड़ है। जिनकी कांकेर लोकसभा के निवासी होने में भूमिका संदिग्ध है। वे चुनाव के वक्त जिस विधानसभा से प्रत्याशी हेतू टिकट मांगते है वही का स्वयं को मूल निवासी बताते है। जब वें संजारी बालोद विधानसभा से टिकट तब वें कुलिया बालोद का मूल निवासी बताते है।
जब सिहावा विधानसभा से टिकट की मांग करते है तब स्वयं को नगरी का मूल निवासी बताते है। जब प्रदेश का कोई पद चाहिए रहता है तो रायपुर का निवासी बताते है। इसी तरह इनकी भूमिका संदिग्ध है। विकास मरकाम का आदिवासियों तथा क्षेत्रवासियों के बीच विशेष लोकप्रियता व प्रभाव नहीं है।