सोशल संवाद/ पश्चिमी चंपारण(रिपोर्ट – दिलीप दुबे ) : बिहार के बगहा अनुमंडल के मधुबनी गांव स्थित राजकीय बुनियादी विद्यालय में कक्षा 1 से 8 वीं तक के बच्चे पढाई करने आते हैं. लेकिन यह स्कूल भवन के नाम पर इस स्कूल में केवल छोटे छोटे तीन कमरे है. इस विद्यालय में नामांकित बच्चो कि संख्या 210 के आसपास है. वही प्रतिदिन विद्यालय में पढ़ाई करने के लिए आने वाले बच्चे वाले कि संख्या 170 है. तीन कमरे का विद्यालय होने कि वजह से एक साथ बच्चे क्लास रूम में नही बैठ सकते हैं. जिसके वजह से तीन क्लास के बच्चों को छोड़कर सभी बच्चों को बाहर बोरे पर बैठकर पढ़ते हैं. ऐसे में सभी बच्चे पेड़ों के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.
इस विद्यालय के बच्चे इस भीषण ठंड में पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. एक तरफ हवा के साथ शीतलहर पड़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ बच्चे ठंड में नीचे बोरे पर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. कहीं ना कहीं सवाल बिहार सरकार के सिस्टम पर उठाता है की इन नौनिहालों के जीवन के साथ सरकार और शिक्षा विभाग क्यों खिलवाड़ करती है, सवाल यह भी उठता है की बिहार की शिक्षा स्तर इतना गिर गया है, कि बच्चे इस ठंड में पेड़ के नीचे पढ़ाने को मजबूर हैं.
इस वजह से जहां एक ओर शिक्षकों को पढ़ाने में परेशानी होती है. वहीं दूसरी ओर बच्चो को पढ़ने में भी परेशानी होती है. चूंकि, पेड़ के नीचे कक्षा 1 से 5 वीं तक के बच्चे एक साथ ही पढ़ाई करते हैं.
शिक्षक भी मानते हैं कि किसी तरह से बस स्कूल चल रहा है. बरसात के दिनों में परेशानी और बढ़ जाती है. वही छात्राओं ने बताया की खुले में बोरे पर बैठकर पढ़ना तो खराब लगता है, लेकिन पढ़ना है, तो बैठना ही पड़ेगा.