April 29, 2024 10:23 am
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एनसीएलटी कलकत्ता के बेंच में रोहित कपुर न्यायिक सदस्य एवं बलराज जोशी तकनीकी सदस्य की अदालत में सुरेश नारायण सिंह बनाम टायो रोल्स लिमिटेड में सभी पक्षों की सुनवाई पूर्ण हो गई

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सोशल संवाद/डेस्क : मजदुरों का पक्ष रखते हुए खिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल को पता था कि टायो की 350 एकड जमीन टाटा स्टील की नहीं बल्कि टायो की है! उन्होंने आगे बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल को यह भी जानकारी थी कि 102 एकड़ जमीन पर कामगारों के जो क्वार्टर्स बने हुए हैं वह भी टायो की है इस प्रकार टायो 452 एकड़ जमीन की मालिक है और अगर इसका सही रिजोल्यूशन प्लान आता और इसका पुनरुद्धार होता तो नयी कंपनी इस पूरे 452 एकड़ जमीन की मालिक बनती।

उन्होंने आगे बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने आयडा, टाटा स्टील और टायो के निलंबित बोर्ड के सदस्यों से 350 एकड़ और 50 एकड़ जमीनों के कागजात मांगे थे जिसे आयडा, टाटा स्टील और टायो के निलंबित बोर्ड के सदस्यों ने नहीं दिया। उन्होंने अदालत को बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल को यह बात माननीय एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी, एनसीएलटी को बतानी चाहिए थी और एक पिटीशन/आवेदन दायर कर माननीय एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी, एनसीएलटी से टाटा स्टील, आयडा और झारखण्ड सरकार से जमीन के दस्तावेज मुहैया कराने के लिए आदेश पारित करवाना था पर रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने टाटा स्टील के साथ लेन देन कर कोई भी आवेदन एनसीएलटी में नहीं लगाया।

उन्होंने आगे बताया कि टाटा स्टील के टायो की 350 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और पूरी फैक्टरी पर टाटा स्टील के सुरक्षा गार्डों के नियंत्रण के चलते कोई रिजोल्यूशन प्रस्तावक कंपनी के पुनरुद्धार के लिए आगे नहीं आया। उन्होंने आगे बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने कम से कम तीन रिजोल्यूशन प्रस्तावकों का जिक्र किया है जो टायो की फैक्टरी की स्थिति देखने आये जिसे टाटा स्टील के सुरक्षा गार्डों ने टायो की फैक्ट्री परिसर में प्रवेश ही नहीं करने दिया। उन्होंने आगे बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल को यह अधिकार  था कि वह माननीय एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के पास एक आवेदन लगाकर आरक्षी अधीक्षक और जिला पुलिस से सहयोग का आदेश पारित करवा कर टाटा स्टील के अवैध कब्जे से टायो की जमीन और फैक्ट्री को मुक्त करवाता और टाटा स्टील के सुरक्षा गार्डों पर एफआईआर करवा कर उन्हें जेल भिजवाता पर रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने टाटा स्टील के साथ लेन देन कर ऐसा कोई आवेदन एनसीएलटी में  नहीं लगाया।

उन्होंने आगे बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने टाटा स्टील के साथ लेन देन कर टायो के पुनरुद्धार की प्रक्रिया शुरू ही नहीं की! उसने लेनदारों के दावों को मनमाने ढंग से खारिज किया, कंपनी की परिसंपत्तियों और इसकी देनदारियों की कोई फेहरिस्त नहीं बनायी, कंपनी की परिसंपत्तियों को अपने नियंत्रण में नहीं लिया, कंपनी की परिसंपत्तियों का कोई मूल्यांकन नहीं करवाया जिसे मोराटोरियम आदेश के 7 दिन से 47 दिन में करवाना था जबकि मोराटोरियम आदेश के लगभग 5 साल हो चुके हैं, इन्फोर्मेशन मेमोरेंडम नहीं बनाया और झारखण्ड बिजली वितरण निगम लिमिटेड का रिजोल्यूशन प्लान हंसी मजाक का स्वांग है, यह आईबीसी की रिजोल्यूशन प्रक्रिया की विनियमन 38 का माखौल है क्योंकि झारखंड बिजली ने सिर्फ 50 एकड़ जमीन के लिए तथाकथित रिजोल्यूशन प्लान दिया है जबकि उसे पूरी कंपनी लेनी थी यानी जमीन, कामगर और प्लांट तथा मशीनरी।

उन्होंने बताया कि यह हैरतअंगेज कारनामा है कि अप्रैल, 2019 में मोराटोरियम आदेश के बाद से लेकर आज तक यानी 5 सालों से टायो की जमीन और फैक्ट्री टाटा स्टील के अवैध कब्जे में रही और रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने इसे अपने नियंत्रण में लेने की कोई कोशिश नहीं की और माननीय एनसीएलटी को लगातार गुमराह करता रहा। उन्होंने कहा कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल अनीश अग्रवाल को तत्काल प्रभाव से हटाकर टायो को टाटा स्टील से मुक्त कराकर रिजोल्यूशन की प्रक्रिया को फिर से शुरू करवाया जाय ताकि टायो का पुनरुद्धार हो सके। टायो के कामगारों की तरफ से अखिलेश श्रीवास्तव और प्रिंस वर्मा ने बहस की।

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