सोशल संवाद/डेस्क : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु झारखंड में मिले सम्मान और प्यार से इतनी अभिभूत हुईं कि उन्होंने इस राज्य के साथ अपना नाता भी बता दिया। उन्होंने गुरुवार को खूंटी में कहा कि मैं ओडिशा की हूं लेकिन मेरा खून झारखंड का है। मेरी दादी जोबा मांझी की ससुराल के गांव की रहनेवाली थी। झारखंड के इस दौरे में राष्ट्रपति की वाणी, व्यवहार और स्मृति में झारखंड के साथ उनके आत्मीय संबंध साफ दिखाई पड़े।
खूंटी में जनजातीय समुदाय की महिलाओं और बालिकाओं से खुलकर मिलने के बाद उन्होंने यह कहने में तनिक भी गुरेज नहीं किया कि इन महिलाओं में उन्हें अपनी झलक दिखाई पड़ती है।
उनकी यही साफगोई, सरलता और निश्छलता, उनके व्यक्तित्व और पद की गरिमा को असीम ऊंचाई प्रदान करता है। ग्रामीण अंचल की रहनेवाली महिलाएं साधारण वेश-भूषा और रहन-सहन की आदी हैं। छल-कपट से कोसों दूर महिलाएं दिल खोलकर एक-दूसरे से मिलती हैं। खूंटी में जब महामहिम महिलाओं, युवतियों से मिल रहीं थी, ऐसा ही दृश्य दिखाई दे रहा था।