May 12, 2024 7:35 am
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बेगूसराय से कन्हैया नहीं तो कौन ? RJD को नहीं पसंद कांग्रेस कैंडिडेट

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सोशल संवाद/डेस्क : लोकसभा चुनाव 2024 का ऐलान हो गया है. चुनावी तारीखों की घोषणा हो चुकी है और राजनीतिक पार्टियां लगातार अपने पत्ते खोल रही हैं. इन सब के बाद भी देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले राज्य बिहार में अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. किसी भी राजनीति दल ने यहां अभी तक अपनी तस्वीर साफ नहीं की है. एनडीए और महागठबंधन ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. महागठबंधन के कांग्रेस कन्हैया कुमार को लेकर दावेदारी कर रही है, जबकि आरजेडी अपनी गोटी फिट करना चाहती है. उधर, एनडीए में भी स्वर उभर रहे हैं कि इस सीट पर बीजेपी अपना उम्मीदवार खड़ा करे.

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यहां हम बिहार की चर्चित सीट बेगूसराय लोकसभा सीट के बारे में चर्चा कर रहे हैं. बेगूसराय से इस समय भारतीय जनता पार्टी के गिरिराज सिंह सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री भी हैं. बिहार में बीजेपी ने नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यू) के साथ गठबंधन किया है. लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. गिरिराज सिंह से पहले भी यह सीट बीजेपी के खाते में थी. 2014 में यहां से भाजपा के डॉ. भोला सिंह सांसद थे. लेकिन इनसे पहले यानी 2004 और 2009 में बेगूसराय पर जनता दल-यू का कब्जा था. यानी लंबे समय से इस सीट पर बीजेपी और जेडीयू का प्रभुत्व रहा है. गठबंधन में यह सीट भले ही किसी की झोली में गिरे लेकिन आंकड़े और इतिहास इसे एनडीए के पक्ष में ही बता रहे हैं.

बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में 7 विधानसभा सीट आती हैं. इनमें चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघड़ा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय और बखरी विधानसभा सीट शामिल हैं.

इस सीट पर कांग्रेस और सीपीआई भी आंख गड़ाए बैठे हैं. क्योंकि 2019 के चुनाव में भले ही जीत बीजेपी को मिली हो, लेकिन वामपंथ की स्थिति भी मजबूत हुई थी. जेएनयू की राजनीति से चर्चा में आए कन्हैया कुमार ने पिछला चुनाव यहीं से सीपीआई के टिकट पर लड़ा था और दूसरे स्थान पर आए. गिरिराज सिंह को 6.92 वोट मिले थे और कन्हैया कुमार को 2.69 लाख. वहीं लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल- आरजेडी के तनवीर हसन को 1.98 वोट लेकर तीसरे स्थान पर ही संतुष्ट होना पड़ा था. अब कन्हैया कुमार सीपीआई छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं. पिछले चुनाव में कन्हैया कुमार को जो वोट मिले थे वे खुद के थे या सीपीआई कैडर के थे, इसे जानने का मौका इस चुनाव में है.

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