सोशल संवाद/डेस्क : सांसद गीता कोड़ा का कॉग्रेस छोड़ना गीता कोड़ा जी के लिए आत्मघाती कदम साबित होगा. इडी आईटी सीबीआई से भयभीत होकर उन्होंने पार्टी छोड़ा है. सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र की जनता लोकसभा चुनाव में इन्हे हरा कर सबक सिखाएगी. कोई व्यक्ति पार्टी से बड़ा नहीं होता है. कोंग्रेस ने गीता कोड़ा जी को न सिर्फ सांसद बनाया अपितु इनके पति मधु कोड़ा जी को भी कभी एक मात्र निर्दलीय विधायक होते हुए राज्य का मुख्य मंत्री तक बनाया. कोड़ा परिवार पार्टी के साथ न्याय नहीं कर सका. भयभीत होकर भाजपा जसी भ्रष्टाचारी पार्टी में शामिल हो गई.
कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व में बिस्वास रखने वाली लोकतांत्रिक पार्टी है. सिंहभूम लोकसभा सीट पर पार्टी के पास मजबूत नेता के रूप में कई प्रभावी विकल्प मौजूद है. उनके पार्टी छोड़ने से पार्टी का किसी प्रकार से कोई नुकसान नहीं होने वाला है. सांसद के रूप में गीता कोड़ा जी की निस्करियता पिछले पांच सालों से बनी हुई थी.
इन्होंने आम जनमानस के हित में विकास के कोई कार्य नहीं किए. आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में सांसद फंड से एक रुपए की भी राशि विकास कार्यों हेतु गीता कोड़ा जी ने खर्च नहीं किया. भाजपा इन्हे अपने भ्रष्टाचारियों को धो पोछ कर निकालने बली वाशिंग मशीन से धोते हुए भ्रष्टाचारी दाग धब्बे छुपाकर जनता के बीच चुनाव में उतारेगी परंतु जनता किसी भी कीमत पर गीता कोड़ा जी को जिताने वाली नहीं है. गीता कोड़ा जी का पार्टी छोड़ने का फैसला अंततः उनके लिए आत्म घाती सिद्घ होगा.