सोशल संवाद/डेस्क : ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाता है. सभी एकादशी में से निर्जला एकादशी व्रत सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्जला एकादशी व्रत करने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त होता है. पूरे वर्ष में 24 एकादशी तिथि होती है. इनमें से सभी एकादशी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. पौराणिक कथा के अनुसार निर्जला व्रत को महाबली भीम ने भी किया था, इस वजह से इसे भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त आगे पढ़ें.
निर्जला एकादशी पूजा विधि
- निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए.
- सबसे पहले घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करनी चाहिए.
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करने के बाद फूल और तुलसी पत्र चढ़ाना चाहिए.
- भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए
- इसके बाद आरती करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़नी या चुननी चाहिए.
- इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए.
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