July 27, 2024 9:25 am
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न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश दीपक रौशन की पीठ में राकेश झा द्वारा दायर जनहित याचिका 2078 /2018 की उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई

सोशल संवाद/डेस्क : न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और माननीय न्यायाधीश दीपक रौशन की पीठ में राकेश झा द्वारा दायर जनहित याचिका 2078 /2018 की माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान माननीय न्यायाधीशों ने अक्षेष द्वारा नक्सा विचलन कर भवन बनाने वालों और पार्किंग की जगहों को व्यवसायिक दूकानों में तब्दील करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं अखिलेश श्रीवास्तव और रोहित सिंहा ने माननीय अदालत को बताया कि 2011 में अक्षेष ने 46 अवैध भवनों को चिन्हित कर सील किया था। सीलिंग का मतलब ही होता है कि अवैध निर्माणों को गिराना पर अक्षेष ने माननीय उच्च न्यायालय ने जैसे ही WP PIL 1076/ 2011 में अपना अंतिम आदेश पारित कर राज्य को नक्सा विचलन करने वाले पर कारवाई करने को कहा अक्षेष ने अपनी सीलिंग हटा ली और बिल्डरों को और भी अधिक अवैध निर्माण करने की छूट दे दी जिसके चलते आज जमशेदपुर में 1246 अवैध भवनों का निर्माण हो चुका है और सारे भवनों में पार्किंग की जगह व्यवसायिक दूकानों खुली हुई हैं और गाड़ियाँ सड़कों पर पार्किंग की जाती है।

माननीय अदालत ने अदालत द्वारा नियुक्त जांच कमिटी की अंतरिम जांच रपट को देख कर अक्षेष को फटकार लगाई और जांच कमिटी को जमशेदपुर में लगातार प्रवास कर अपनी अंतिम रपट दायर करने को कहा। ज्ञातव्य है कि इससे पहले माननीय अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि चूँकि यह मामला 1246 भवन के अवैध निर्माण का है और यह निरंतर अब भी 57 भवनों में जारी है तो यह मामला संगीन है और इस पर अंतिम फ़ैसले के पहले पूर्व गठित जाँच टीम को एक बार पुनः जाँच के लिए जमशेदपुर जाने का निर्देश दिया जाता है । जाँच टीम को स्पष्ट निर्देश देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि वर्तमान में निर्माणाधीन अवैध भवनों पर विशेष रूप से जाँच कर अपना फ़ाइनल रपट मुख्यतः ३ विन्दुओं पर सौंपे,

१. वृहत स्तर पर अनियंत्रित अवैध निर्माण पर ज़िम्मेदार अधिकृत अघिसूचित क्षेत्र समिति, जमशेदपुर की भूमिका क्या है ?

२. वर्ष २०११ में उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर अब तक क्या कार्रवाई की गयी है?

३. नक़्शा पारित करने एवं संशोधन करने में कौन कौन सी अनियमितताएं बरती गई हैं और कितने भवनों को नियम के विरूद्ध अतिरिक्त तल निर्माण का परमिट दिया गया है?

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