सोशल संवाद/डेस्क : हम ऐसे महान इंसान के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। जिसने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और उस मुकाम तक पहुंचे जहां पर हम सोच भी नहीं सकते हैं। उस इंसान का जन्म के ऐसे घर में हुआ था जो समाज के नियमों के हिसाब से अछूत जाति के थे। हम बात कर रहें हैं बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के जीवन के बारे में उन्होंने अपने जीवन में कितना संघर्ष किया है। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर के जीवन से हमें काफी प्रेरणा मिलती है। और काफी कुछ सिखने को भी मिलता है।
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर स्वतंत्र भारत के पहले विधि मंत्री बने थे। देश के संविधान निर्माण में भी डॉ भीमराव अम्बेडकर का बहुत बड़ा योगदान था। बाबासाहेब को समाजिक भेदभाव के खिलाफ लडऩे के अलावा उनको आधुनिक भारत में बौद्ध आंदोलन प्रारंभ करने के लिए भी याद किया जाता है।
1) डॉ. अम्बेडकर अपने माता-पिता की 14वीं और आखिरी संतान थे।
2) डॉ. अम्बेडकर ही एक मात्र भारतीय हैं जिनकी portrait लन्दन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है।
3) डॉ. अम्बेडकर ने भारत के संविधान में आर्टिकल 370 का विरोध किया था। यह आर्टिकल जम्मू और कश्मीर को देश के सभी राज्यों से अलग दर्जा देता है।
4) इंडियन फ्लैग में अशोक चक्र को जगह देने का श्रेय भी डॉ. अम्बेडकर को जाता है।
5) डॉ. अंबेडकर का असली सरनेम अंबावेडकर था। उनके एक अध्यापक महादेव अंबेडकर ने स्कूल के रीकॉर्ड्स में उनका सरनेम बदलकर अपना सरनेम दे दिया। भीम राव उनके प्रिय छात्र थे।
6) अंबेडकर के पूर्वज ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत थे।
7) वो बाबासाहेब ही थे जिन्होंने महिला श्रमिकों के लिए सहायक Maternity Benefit for women Labor, Women Labor welfare fund, Women and Child, Labor Protection Act जैसे कानून बनाए।
8) अंबेडकर पहले भारतीय थे जिन्होंने विदेश में अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट डिग्री हासिल की थी।
9) उन्होंने गवर्मेंट लॉ स्कूल मुंबई के प्रिंसिपल के रूप में दो वर्ष काम किया था।
10) Economics का Nobel Prize जीत चुके अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन डॉ. बी आर अम्बेडकर को अर्थशाश्त्र में अपना पिता मानते हैं।
11) अपने अंतिम दिनों में उन्हें डाइबिटीज की गंभीर बिमारी हो गई थी।