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पहली बार हो रही शीतकालीन चारधाम यात्रा, रचा गया इतिहास

By Tamishree Mukherjee

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सोशल संवाद / डेस्क : इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि कड़ाके की ठंड के बीच उत्तराखंड में  चार धाम यात्रा की जा रही है. जी हाँ , उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा अब तक ग्रीष्मकाल में हुआ करती थी. अब यह यात्रा शीतकाल में भी शुरू हो गई है. इसकी शुरुआत आज बुधवार 27 दिसंबर 2023 को हरिद्वार से ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने की है.

इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य ऐसी यात्रा कर रहे हैं. आम धारणा है कि शीतकाल के 6 महीने तक उत्तराखंड के चार धामों की बागडोर देवताओं को सौंप दी जाती है और उन स्थानों पर प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को शीतकालीन पूजन स्थलों में विधि-विधान से विराजमान कर दिया जाता है. इन स्थानों पर 6 महीने तक पूजा पाठ पारंपरिक पुजारी ही करते हैं, लेकिन सामान्य लोगों में यह धारणा रहती है कि अब 6 महीने के लिए पट बंद हुए तो देवताओं के दर्शन भी दुर्लभ होंगे. परन्तु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी का मानना है कि भगवन 12 महीने रहते हैं, इसलिए  ग्रीष्मकाल हो या शीतकाल यात्रा के लिए आइये. उत्तराखंड के चारधाम आपको आशीर्वाद देने के लिए सदैव विद्यमान हैं.

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शीतकालीन चार धाम यात्रा 27 दिसंबर से प्रारंभ होकर 2 जनवरी तक चलेगी .  परंपरा के अनुसार , खरसाली गाँव में यमुना मंदिर में यात्रा  का पहला पड़ाव होगा. 28 दिसंबर को यात्रा आगे बढ़ेगी और उत्तरकाशी के रास्ते 29 दिसंबर को हर्षिल में गंगा जी कि शीतकालीन पूजा स्थल मुखवा गाँव  पहुचेगी. 30 दिसंबर को उत्तरकाशी विश्वनाथ के दर्शन होंगे फिर केदारनाथ के शीतकालीन पूजा स्थल ओम्कारेश्वर का मार्ग तय किया जायगा. 31 जनवरी को यात्रा बद्रीनाथ के शीतकालीन पूजा स्थल जोशीमठ पहुचेगी .

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