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एक ऐसी जगह जहां देवता की तरह होती है कुत्तों की पूजा | kutta ki puja

हिंदुओं के प्रमुख पर्व दिवाली की धूम भारत समेत पूरी दुनिया में रही. लोग अपने-अपने इष्टदेवों की पूजा करते नजर आए. हालांकि यह बात तय है कि अलग अलग जगहों पर यह त्यौहार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है. इसी बीच एक ऐसा भी देश हैं जहां इस पर्व के दौरान कुत्तों की पूजा होती है. यह चौंकाने वाली बात है लेकिन इसकी वजह सुनकर हर कोई हैरान जरूर रह जाएगा.

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दरअसल, नेपाल में फेस्टिव सीजन के दौरान ही एक दिन ‘कुकुर तिहार‘ नाम का पर्व आता है. यह उस दौरान होता है जब नेपाल में पांच दिनों तक चलने वाले तिहार फेस्टिवल की शुरुआत 23 अक्टूबर से होती है. इसके दूसरे दिन ही कुकुर तिहार मनाया जाता है. यानी जिस दिन दुनियाभर में दिवाली मनाई गई ठीक उसी दिन नेपाल में कुकुर तिहार मनाया गया. इस दिन कुत्तों को उनकी वफादारी के लिए देवदूत के रूप में पूजा जाता है.

पूरे देश में कुत्तों के लिए एक दिन

तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुकुर तिहार के तहत तिलक-माला और आरती उतारकर कुत्तों को कई पकवान खिलाए गए. इस मौके पर नेपालभर में कुत्तों की पूजा की जाती है. उन्हें माला पहनाकर तिलक भी लगाया जाता है. कुत्तों के लिए खास व्यंजन भी बनाए जाते हैं और उन्हें खाने को दिया जाता है. इसके साथ उन्हें दही भी खिलाई जाती है.

कैसे मनाते हैं यह पर्व

इस कुकुर तिहार के दौरान नेपाल के लोग ना सिर्फ कुत्तों को प्रार्थना और सम्मान देते हैं बल्कि एक दिन पूरा उनके नाम होता है. इस दिन छोटे बच्चे समेत सभी लोग कुत्तों को लाड़ प्यार करते हैं और उन्हें दूध, अंडे आदि जैसे बहुत सारी चीजें खिलाते हैं. इस बार तो उत्सव में ना केवल स्थानीय बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों ने भी भाग लिया.

क्या हैं इसे मनाने का कारण

असल में यहां कुकुर तिहार का उत्सव इस विश्वास से जुड़ा है कि कुत्ते मृत्यु के देवता यमराज के दूत हैं और इन दिनों के दौरान लोग यमराज को खुश करने के लिए मनुष्य के सबसे वफादार दोस्त की पूजा करते हैं. वहीं दूसरी तरफ विशेषज्ञों का कहना है कि इस पर्व के माध्यम से यह संदेश भी दिया जाता है कि हमें हर जानवर का सम्मान करना चाहिए चाहे वह कुत्ता ही क्यों ना हो.
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